बच्चों की परवाह बिना दंपति ले रहे हैं तलाक 

(दिलीप चौकीकर संवाददाता आमला)

 आमला हिंदू विवाह अधिनियम में तलाक के निर्णय का अधिकार जिला न्यायाधीश न्यायालय को प्रदान किया मंशा यह रही होगी कि परिवार का विघटन साधारण मामला नहीं है इसलिए वरिष्ठ न्यायालय को यह अधिकार प्रदान किया गया होगाा।

बदलते परिवेश में न्यायालय में विवाह विच्छेद के मामलों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है। नव युगल जोड़ो का विवाह के तत्काल बाद तलाक लेने का निर्णय समझ से परे है । पारिवारिक मामले के जानकार वकील राजेंद्र उपाध्याय अंशुल गर्ग संजय शुक्ला का कहना है कि शादी के कुछ समय बाद ही नव युगल तलाक के लिए हमारे ऑफिस में आते हैं उन्हें तलाक लेने की इतनी जल्दी होती है कि वे किसी भी कीमत पर छुटकारा पाना चाहते हैं हम उन्हें समझाइश देते हैं कि विवाह के एक वर्ष के अंदर तलाक की याचिका नहीं लगाई जा सकती लेकिन वह इतने उतावले होते हैं कि किसी भी परिस्थिति में एक दूसरे से अलग होना चाहते हैं ।

हमने इन मामलों की तह में जाकर जानने की कोशिश की इसकी मुख्य वजह किसी भी एक पक्ष का उसकी मर्जी के विरुद्ध विवाह होना परिवार का समाज में विवाह करने के लिए दबाव डालना नौकरी पेशा लड़के को बिना लड़की कि सहमति से विवाह तय करने का चलन आधुनिक जीवन शैली बच्चों को उनकी पसंद से शादी न करने देना भी इसका एक बहुत बड़ा कारण है । देखने में यह भी आ रहा है की शादी के 20 वर्ष पश्चात भी तलाक लेने की वजह पति पत्नी के बीच तीसरे पक्ष की इंट्री विवाह पूर्व के प्रेम संबंध कार्य का अत्यधिक तनाव पति का पत्नी परिवार के प्रति उपेक्षित रवैया सोशल मीडिया पर अत्यधिक सक्रियता एक दूसरे की प्रति विश्वास कम होना भी तलाक लेने के महत्वपूर्ण कारक हैं वकील मदन हीरे का कहना है कि दंपति अपने अहम के टकराव के चलते बच्चों की चिंता किए बिना तलाक ले रहे हैं सबसे अधिक पढ़े-लिखे लोगों नौकरी पेशा पति पत्नी के मध्य तलाक के कारण उत्पन्न होते हैं जिसकी मुख्य वजह पति-पत्नी का एक दूसरे के प्रति अविश्वास एक दूसरे के मोबाइल को चेक करना।

वकील कल्याणी हीरे का कहना है कि लड़कियों का आर्थिक रूप से संपन्न सक्षम होना पति द्वारा बिना वजह प्रताड़ित करने के कारण यदि लड़की आर्थिक रूप से सक्षम है तो वह तलाक लेने के लिए सहज तैयार हो जाती है केस नंबर 1 पति आईटी सेक्टर बेंगलुरू में काम करता था कोविड काल में नौकरी चली गई पत्नी बेंगलुरु छोड़कर गांव में आने को तैयार नहीं थी पति ने सारा सामान बेचकर पत्नी को लेकर गांव आया पत्नी ने गांव में रहने से मना कर दिया दो बच्चे साथ आए दोनों बच्चे पिता के पास है पति ने पत्नी को 10 लाख रुपये एक मुश्त देकर तलाक लिया मध्यस्थता कार्रवाई के दौरान पति स्वयं की जान देने को तैयार था लेकिन पत्नी के साथ रहने को तैयार नहीं था मां बच्चों के साथ रहना चाहती थी।  बच्चों ने मां के साथ रहने से मना कर दिया दोनों पति-पत्नी के अहम के टकराव के कारण बच्चे मां-बाप के प्यार से वंचित हो गए केस नंबर 2। विवाह के तीन माह बाद ही पत्नी का देर से सोकर उठना घर के काम न करना आधुनिक जीवन शैली रोज होटल में जाकर खाना खाने की जिद करना परिवार के अनुशासन का पालन न करना वजह मामला तलाक तक पहुंच गया केस नंबर 3 पति का शराब के नशे में चूर रहना नौकरी पेशा पत्नी पर शक करना बिना वजह घर में कलह करना बच्चों की देखभाल करने से मना करना पत्नी पर दबाव बनाकर पत्नी के परिवार को आर्थिक मदद करने से रोकना भी तलाक का एक कारण बन रहा हैै। वकील मनीष गर्ग सुभाष लोखंडे का कहना है कि न्यायालय में मध्यस्थता के दौरान जब दोनों पक्षों को बिठाकर समझाइश दी जाती है।  कार्रवाई के दौरान न्यायाधीश गणों द्वारा पति-पत्नी को पृथक पृथक समझाया जाता है तो तलाक से ज्यादा साथ रहने कि परिस्थितियों बन जाती है और बच्चों के प्यार की खातिर खुशी-खुशी पति पत्नी साथ में रहने के लिए तैयार हो जाते हैं लेकिन फिर भी बढ़ते तलाक के मामले चिंता का विषय है ।सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले नवीन ओंकार श्रीमती विमल मदान मनोज वाधवा गुणवंत सिंह चड्डा का कहना है कि एकल परिवार का चलन संयुक्त परिवार से दूरी भी इसकी एक वजह है जो भी हो लेकिन पति-पत्नी के झगड़ो के बीच बच्चे मानसिक रूप से परेशान हो रहे हैं पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहे हैं इससे बच्चों का भविष्य भी खतरे में दिखाई देता है।

Satish Naik

Editor in Chief

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