मुल्ताई:।सैय्यद हमीद अली
मुस्लिम धर्म अनुसार पवित्र रमजान का महीना बड़ी बरकत और खुदा की रहमत का महीना है। मान्यता अनुसार इस महीने में खुदा की रहमत बरसती है। तथा रोजदारों को की दुआ कबूल की जाती है, जो मांगा जाता है उसे अता किया जाता है। इस महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग एक महीने तक रोजा रखकर खुदा की इबादत करते हैं। पवित्र रमजान के महीने की शुरुआत, कल चांद देखकर की गई और आज पहला रोजा रखा गया है। और रमजान महीने की शुरुआत के साथ ही समस्त मुस्लिम समुदाय इबादत में लग गया है। रमजान के पवित्र महीने में तरावीह की विशेष नमाज अदा की जाती है, जिसमें कुरान पढ़ा जाता है। इस नमाज का भी बहुत बड़ा आशय है जो की एक महीने तक सतत पढ़ी जाएगी। रमजान का महीना अपने गुनाहों से तौबा करने, तथा अपने खुदा को राजी करने के लिए अल्लाह ताला की तरफ से भेजा गया एक बहुत बड़ा उपहार है।
रमजान के आते ही मुस्लिम समुदाय के तमाम मुस्लिम भाई, अपने काम को आगे पीछे करके पांचो वक्त की नमाजों के साथ में तरबीह की विशेष नमाज भी पढ़ने में जुट गए हैं। रमजान महीने के स्वागत में नगर की तमाम मस्जिदों की रंग रंगाई ,पुताई के साथ में सजावट भी की गई है। पवित्र रमजान का महीना चांद देखने के बाद से शुरू होकर, ईद का चांद देखने तक, सतत एक माह तक चलेगा। जिसमें मुस्लिम भाई इबादत के साथ में रोजे रखकर खुद की इबादत करते रहेंगे। हालांकि इस्लाम धर्म और कुरान के मुताबिक, मुसलमान को ,मात्र रमजान ही नहीं, बल्कि तमाम उम्र इसी तरह खुद की इबादत करते हुए गुजरते का हुक्म है? परंतु इसे विडंबना ही कहा जा सकता है कि, यह सबक मात्रा रमजान में ही लिया जाता है।