(मुल्ताई:—सैय्यद हमीद अली....)
आज रविवार को भारत रत्न ,संविधान के रचयिता ,डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती बड़े ही धूमधाम और हर्ष उल्लास के साथ मनाई गई।
इस अवसर पर ताप्ती तट पर स्थित आनंद बौद्ध विहार से एक विशाल रैली निकल गई। जिसमें बड़ी संख्या में बच्चों सहित ,महिलाओं ,युवाओं तथा बुजुर्गों ने,हिस्सा लिया। हाथों में नीले झंडे लेकर, “बाबा साहब भीमराव अंबेडकर अमर रहे” जैसे नारे लगाते हुए रैली, नाका नंबर एक अंबेडकर चौक पर पहुंची। जहां पर टेंट लगाकर सारी व्यवस्था समिति के लोगों द्वारा की गई थी। कार्यक्रम की शुरुआत आनंद बौद्ध विहार के अध्यक्ष श्री लोखंडे जी , तथा बाहर से पधारे सभी मुख्य अतिथियों द्वारा, पंचशील का झंडा वंदन कर, तथा बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा पर माला अर्पण कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की गई। बाहर से बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती पर पधारे, सभी मुख्य अतिथियों के स्वागत समारोह के बाद कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
उपस्थित प्रमुख वक्ताओं ने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के जीवन पर रोशनी डालते हुए बताया कि ,बाबा साहब ने संविधान लिखकर,सभी समाज और वर्गों को समानता का अधिकार दिया है। मानव समाज को जीवित रहने के लिए हर तरह के मौलिक अधिकारों को संविधान में लिखकर, मानव जाति पर उपकार कर, स्वतंत्रता का पूरा-पूरा अधिकार दिया गया है। जिसकी बदौलत आज देश में लोकतंत्र जीवित है। संविधान से लोकतंत्र है, और लोकतंत्र के बिना भारत की कल्पना भी नहीं की जा सकती ? भारत का संविधान एक ऐसा मजबूत और संपूर्ण संविधान है, जिसमें सारे अधिकार हर वर्ग को दिए गए हैं। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर द्वारा रचित भारत का संविधान का महत्व, जिस देश में लोकतंत्र नहीं है , वहां की कार्य प्रणाली देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत का संविधान कितना महत्वपूर्ण और मजबूत सर्वहित कारी संविधान है? मंचासिन अन्य प्रमुख वक्ताओं ने भी, भारत रत्न संविधान के रचयिता ,डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की 133 वी .जयंती पर बाबा साहब के देश के लिए दिए गए त्याग और बलिदान को याद करते हुए, उनके द्वारा रचित संविधान की विशेषताओं को जनता के सामने रखा। हालांकि वर्तमान दौर में राजनीति के वशीभूत, संविधान में संशोधन करने की कुछ लोगों द्वारा मांग भी उठाई जा रही है? परंतु बुद्धिजीवी वक्ताओं आव्हान किया है कि , हमें संविधान की रक्षा के लिए और संबंधित व्यक्तियों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए, आगे आकर काम करना चाहिए? इस अवसर पर एक समुदाय विशेष ही मुख्य रूप से उपस्थित रहा। जबकि बाबा साहेब अंबेडकर किसी एक समुदाय के न होकर, पूरे भारतवर्ष की धरोहर है ? अन्य नेताओं की तरह उन्हें सभी,सभी समुदाय के नेताओं ने, लोगों ने, उनकी जयंती सामूहिक रूप से मनाना चाहिए,,? परंतु यह विडंबना ही है कि, उनका विशेष समुदाय ही उनके तमाम पर्वों को मानता है ,,? जब चुनाव आते है ,तो दलित को वोट के लिए भाई बंदी दिखाई जाती है, भाईचारा बताया जाता है? परंतु ऐसे आयोजन के लिए कोई ध्यान नहीं देता।