कोर्ट पता लगाए कि असली पत्नी कौन अपर सत्र न्यायाधीश आमला

(दिलीप चौकीकर संवाददाता आमला)

 आमला । पति  पत्नी के एक रोचक मामले में विचारण न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी आमला  को निर्देश दिया है कि वह स्वयं  जांच करे दोनों पक्षों से अपने अपने पक्ष समर्थन के दस्तावेज लेकर पुलिस से उन दस्तावेजों की जांच करवा कर यह निर्धारित करें कि असली पत्नी कौन है ग्राम देवगांव की एक महिला ने न्यायिक मजिस्ट्रेट का प्रथम श्रेणी आमला के न्यायालय में वर्ष 2023 में परिवाद प्रस्तुत कर अन्य महिला पर यह आरोप लगाया था कि वह मृतक रेल कर्मचारी कि विवाहिता पत्नी है उसकी शादी लगभग 40 50 साल पहले हुई थी शादी के बाद  उसका वैवाहिक मतभेद चला था जिसके भरण पोषण का केस उसके द्वारा मुलताई न्यायालय में पेश किया गया था जहां से उसके पक्ष में भरण पोषण के आदेश हुए थे उसके पति ने एक अन्य महिला को महाराष्ट्र से जहां पर वह नौकरी करता था अपने साथ ले आया था जो उसके साथ गलत तरीके से पत्नी बनाकर रह रही थी उनका एक पुत्र भी है उसके पति अन्य महिला और पुत्र ने मिलकर विवाहिता पत्नी के आधार कार्ड परिचय पत्र व अन्य दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ कर स्वयं विवाहिता पत्नी बनकर रेल विभाग एवं बैंक से पेंशन प्राप्त करना प्रारंभ कर दिया था उस महिला ने मृतक कि की पेंशन धनराशि एवं अन्य नौकरी का पैसा अपने नाम पर करवा लिया था जिसकी शिकायत विवाहिता पत्नी ने पुलिस थाना आमला में की थी पुलिस थाना अमला ने अपराध दर्ज नहीं किया था विवाहिता पत्नी ने पुलिस महानिदेशक भोपाल को भी शिकायत की थी लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई तो पीड़ित महिला ने मजिस्ट्रेट न्यायालय आमला में परिवाद पेश किया था जिसे न्यायालय द्वारा निरस्त कर दिया गया था परिवादी के वकील राजेंद्र उपाध्याय ने बताया कि अपर सत्र न्यायाधीश आमला  ने दांडिक रिवीजन स्वीकार करते हुए कहा कि इतने गंभीर आरोप की जांच बिना दस्तावेज के भौतिक सत्यापन के संभावित नहीं है जिस प्रकार की स्थिति प्रकरण में आई है जिसमें अन्य महिला को खड़ा कर कूट  रचित दस्तावेज तैयार कर  विवाहिता पत्नी की पेंशन अन्य महिला के द्वारा प्राप्त की जा रही है यदि अन्य महिला सही है उसके पास विवाहिता पत्नी होने की दस्तावेज है तो उसे पुलिस जांच में सहयोग कर अपना पक्ष न्यायालय के समक्ष रखना चाहिए जिससे सही स्थिति न्यायालय के समक्ष आ सके विचारण न्यायालय को निर्देशित किया है कि वह स्वयं धारा 202 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत संपूर्ण मामले की जांच करें और दोनों पक्षों के दस्तावेज प्राप्त करें उन दस्तावेजों को पुलिस के माध्यम से सत्यापन करवा कर गुण दोष के आधार पर प्रकरण का निराकरण करें

Satish Naik

Editor in Chief

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