भागवत कथा जीवन के उद्देश्य और दिशा को दर्शाती है:देवी सत्यार्चा जी

(दिलीप चौकीकर संवाददाता आमला)

आमला के हारोडे परिवार द्वारा सिटी मैरिज लान आमला में भागवत कथा का आयोजन 18 मई से 25 मई तक किया जा रहा है।आयोजन के मुख्य जजमान धर्मराज हारोडे तथा हारोडे परिवार के धनराज हारोड़े,धर्मराज हारोडे,युवराज हारोडे,बलराज हारोडे,प्रमोद हारोडे है।

आयोजित भागवत कथा में राष्ट्रीय कथा वाचिका देवी सत्यार्चा जी के मुखार बिंद से कथा की रसधार प्रवाह मान है।श्रीमद् भागवत कथा में राष्ट्रीय कथावाचिका देवी सत्यार्चा जी ने श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह प्रसंग सुनाया। श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह को एकाग्रता से सुना। श्रीकृष्ण-रुक्मणि का वेश धारण किए बाल कलाकारों पर भारी संख्या में आए श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया।

श्रद्धालुओं ने विवाह के मंगल गीत गाए। देवी सत्यार्चा जी ने कहा कि रुक्मणी विदर्भ देश के राजा भीष्म की पुत्री और साक्षात लक्ष्मी जी का अवतार थी। रुक्मणी ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य एवं गुणों की प्रशंसा सुनी तो उसने मन ही मन श्रीकृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया। रुक्मणी का बड़ा भाई रुक्मी श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह चेदिनरेश राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से कराना चाहता था। रुक्मणी को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने एक ब्राह्मण संदेशवाहक द्वारा श्रीकृष्ण के पास अपना परिणय संदेश भिजवाया। तब श्रीकृष्ण विदर्भ देश की नगरी कुंडीनपुर पहुंचे और वहां बारात लेकर आए शिशुपाल व उसके मित्र राजाओं शाल्व, जरासंध, दंतवक्त्र, विदु रथ और पौंडरक को युद्ध में परास्त करके रुक्मणी का उनकी इच्छा से हरण कर लाए।

वे द्वारिकापुरी आ ही रहे थे कि उनका मार्ग रुक्मी ने रोक लिया और कृष्ण को युद्ध के लिए ललकारा। तब युद्ध में श्रीकृष्ण व बलराम ने रुक्मी को पराजित करके दंडित किया। तत्पश्चात श्रीकृष्ण ने द्वारिका में अपने संबंधियों के समक्ष रुक्मणी से विवाह किया।

      आयोजन परिवार के जयेश,विनोद हारोडे,स्वराज,कर्मराज,आदित्य,क्रिस,पिपराज,सक्षम सभी भक्तजनों कथा श्रवण करने आने वाले श्रद्धालुओं का स्वागत कर धन्य अनुभव कर रहे है।कथा में बड़ी संख्या में श्रृद्धालु पहुंचकर कथा का रसास्वादन कर रहे है।

Satish Naik

Editor in Chief

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