अवकाश के कारण नही कर पा रहे झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्यवाही कहते है सीएचएमओ

(दिलीप चौकीकर संवाददाता आमला)

आमला ।। शहर सहित विकासखंड में सैकड़ों झोलाछाप डॉक्टरों का मकड़जाल फैला है झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज से कई मरीज अपनी जान गवां चुके है प्रदेश के मुखिया सीएम मोहन यादव द्वारा झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्यवाही करने के आदेश जारी किए हुए महीना बीतने को आया लेकिन आमला क्षेत्र में जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा इनके विरुद्ध कोई कार्यवाही करने की जहमत नहीं उठाई जा रही है अधिकारियों की उदासीनता के चलते क्षेत्र में झोलाछाप डाक्टरों की संख्या बढ़ते जा रही है । क्षेत्र में बढ़ते झोलाछाप डॉक्टरों की संख्या का मुख्य कारण प्रशासन की लचर व्यवस्था या अधिकारियों का संरक्षन भी कही न कही देखने को मिल रहा है । क्षेत्र में सैकड़ों झोलाछाप डॉक्टर द्वारा अवैध तरीके से उपचार कर रहे है जिनके द्वारा अमानक दवाइया भी लिखी जा रही है और उनके गलत उपचार से मरीजों की जान पर भी बन आ रही है लेकिन स्थानीय सहित जिले के जिम्मेदार अधिकारी झोलाछाप डॉक्टरों पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहे है । जिससे प्रतीत होता है की झोलाछाप डाक्टरों को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को मोन स्वीकृति है।

 

सीएमएचओ कहते करेंगे कारवाई

 

लगातार आमला ब्लाक मे झोलाछाप डाक्टरों के मामले प्रकाशन होने के बाद भी विभाग द्वारा कार्यवाही न करने का पूछने पर जिला चिकित्सा अधिकारी रविकांत उइके का कहना है की शनिवार रविवार अवकाश पड़ने के कारण कारवाई नही कर पा रहे देखते है सोमवार से कारवाई और जांच करेंगे या फिर पूरे जिले के हिसाब से प्लानिंग करेंगे कारवाई की ।जिला चिकित्सा अधिकारी के कथनों मे काफी अंतर है जिससे प्रतीत होता है की विभाग के सीएमएचओ और बीएमओ ने अभी तक झोलाछाप पर जांच करने कारवाई का मन नही बनाया है ।

 

आमला के बीएमओ डॉ.अशोक नरवरे कार्रवाही करने मे आखिर परेज क्यो कर रहे है

ईसका मतलब साफ साफ है दाल मे काला है अभी तक ऐ महाशय दुसरो पर कार्यवाही करते थे लेकिन अब इनपर उल्टा पड़ता नजर आ रहा है

ईनपर भी कुछ ही समय मे बड़ा खुलासा होने जा रहा है आखिर झुट का पुल्दां खुलने जा रहा है

 

नोटिस तक सीमित रह गई कार्यवाही 

 

लोगों के स्वास्थ्य और जान से खिलवाड़ करने वाले ऐसे लोगों के खिलाफ अफसरों को सख्ती दिखाने में कसर नहीं रखनी चाहिए। लेकिन स्थानीय स्तर पर इसका बिल्कुल ही उल्टा हो रहा है। वे झोलाछापों के प्रति नरमी बरतने में कसर नहीं छोड़ते। शिकायतों पर जब कभी स्वास्थ्य विभाग के अफसर किसी झोलाछाप के यहां पहुंचते भी हैं तो सिर्फ नोटिस थमाकर आ जाते हैं। बाद में झोलाछाप डॉक्टर कि मिलीभगत से ही चल रहा है कारोबार अफसरों से संपर्क करता है और विभागीय कर्मियों को खुश करने के बाद उसका कसूर ही खत्म हो जाता है।आमला ।। शहर सहित विकासखंड में सैकड़ों झोलाछाप डॉक्टरों का मकड़जाल फैला है झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज से कई मरीज अपनी जान गवां चुके है प्रदेश के मुखिया सीएम मोहन यादव द्वारा झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्यवाही करने के आदेश जारी किए हुए महीना बीतने को आया लेकिन आमला क्षेत्र में जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा इनके विरुद्ध कोई कार्यवाही करने की जहमत नहीं उठाई जा रही है अधिकारियों की उदासीनता के चलते क्षेत्र में झोलाछाप डाक्टरों की संख्या बढ़ते जा रही है । क्षेत्र में बढ़ते झोलाछाप डॉक्टरों की संख्या का मुख्य कारण प्रशासन की लचर व्यवस्था या अधिकारियों का संरक्षन भी कही न कही देखने को मिल रहा है । क्षेत्र में सैकड़ों झोलाछाप डॉक्टर द्वारा अवैध तरीके से उपचार कर रहे है जिनके द्वारा अमानक दवाइया भी लिखी जा रही है और उनके गलत उपचार से मरीजों की जान पर भी बन आ रही है लेकिन स्थानीय सहित जिले के जिम्मेदार अधिकारी झोलाछाप डॉक्टरों पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहे है । जिससे प्रतीत होता है की झोलाछाप डाक्टरों को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को मोन स्वीकृति है।

 

सीएमएचओ कहते करेंगे कारवाई

 

लगातार आमला ब्लाक मे झोलाछाप डाक्टरों के मामले प्रकाशन होने के बाद भी विभाग द्वारा कार्यवाही न करने का पूछने पर जिला चिकित्सा अधिकारी रविकांत उइके का कहना है की शनिवार रविवार अवकाश पड़ने के कारण कारवाई नही कर पा रहे देखते है सोमवार से कारवाई और जांच करेंगे या फिर पूरे जिले के हिसाब से प्लानिंग करेंगे कारवाई की ।जिला चिकित्सा अधिकारी के कथनों मे काफी अंतर है जिससे प्रतीत होता है की विभाग के सीएमएचओ और बीएमओ ने अभी तक झोलाछाप पर जांच करने कारवाई का मन नही बनाया है ।

 

 

नोटिस तक सीमित रह गई कार्यवाही 

 

लोगों के स्वास्थ्य और जान से खिलवाड़ करने वाले ऐसे लोगों के खिलाफ अफसरों को सख्ती दिखाने में कसर नहीं रखनी चाहिए। लेकिन स्थानीय स्तर पर इसका बिल्कुल ही उल्टा हो रहा है। वे झोलाछापों के प्रति नरमी बरतने में कसर नहीं छोड़ते। शिकायतों पर जब कभी स्वास्थ्य विभाग के अफसर किसी झोलाछाप के यहां पहुंचते भी हैं तो सिर्फ नोटिस थमाकर आ जाते हैं। बाद में झोलाछाप डॉक्टर अफसरों से संपर्क करता है और विभागीय कर्मियों को खुश करने के बाद उसका कसूर ही खत्म हो जाता है।

Satish Naik

Editor in Chief

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