बिना रॉयल्टी चुकाए निकल रहे डंपर, रॉयल्टी चोरी से शासन को करोडो का नुकसान

(दिलीप चौकीकर संवाददाता आमला)

आमला। ब्लाक में अवैध खनन के साथ परिवहन का मामला तेजी के चल रहा है। खनन के बाद खनिज को एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचाने सरकार को रायल्टी देनी होती है। ऐसे में शहर में 90 फीसदी ट्रक बिना रायल्टी के निकाले जा रहे हैं। इससे सरकार को साल भर के अंदर करोड रुपए का नुकसान हो रहा है। खनिज विभाग के साथ ही पुलिस भी परेशान है।

खनिज विभाग ने रायल्टी भी बंद रखी थी

 

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि डंपर पकड़ में नहीं आएं, इसलिए ड्रायवर पीछे वाली नंबर प्लेट के नंबरों को मिटा देते हैं। इसके अलावा मिट्टी या कालिख लगाने से नंबर नहीं दिखाई देते। ऐसे में वे हादसे का प्रत्यक्षदर्शी नंबर ना जांच पाए तो अनेको डमफर ऐसे है जिनकी प्लेट पर नंबर चालाकी से साफ किए हुए है। यही नहीं, पिछले दिनों खनिज विभाग ने जांच की तो कई डंपर के नंबर नहीं मिले या फिर नंबर ही पूरे नहीं थे। कई डंपर में रॉयल्टी खत्म हो चुकी थी। पुरानी रसीद दिखाई गई। पिछले दो महीने से एसईआईएए (स्टेट इनवारमेंट एपैक्ट एसेसेसमेंट एथारिर्टी) ने क्रेशर को बंद करने के लिए आदेश जारी किया था। इस आदेश के मुताबिक खदानों को बंद किया जाना था। फिर भी खनन हुआ और माफियों ने अवैध परिवहन किया। क्योंकि खनिज विभाग ने रायल्टी भी बंद रखी थी।

 

अवैध खनन पर विभागों की जिम्मेदारी 

 

 

पुलिस : ट्रैफिक पुलिस गश्त के दौरान डंपर को रोक सकती है और जांच कर सकती है,लेकिन नहीं करती। थाने वाले नो एंट्री में प्रवेश करने पर रोक सकते हैं। इस कारण नो एंट्री की कोई पाबंदी नहीं लेकिन ये डंपर निशातपुरा से निकलते हैं। फिर भी यहां की पुलिस कार्रवाई नहीं करती।

 

 

आरटीओ: परिवहन दस्ते का काम है कि ओवरलोडिंग वाहन की जांच करे। डंपर में माल ज्यादातर ओवर लोड होता है। आरटीओ इसकी जांच कही नहीं करते। ओवर लोड डपंर पर 70 हजार जुमार्ना लगता है।

 

ऐसे हो रहा सरकार को करोड़ों का नुकसान  

 

400 फीट डंपर पर 11 घन मीटर रॉयल्टी जरूरी है। इस पर रॉयल्टी 1760 रुपए सरकार को राजस्व देना है, जबकि 500 फीट पर 15 घन मीटर रॉयल्टी देनी पड़ेगी। यानी 2400 रुपए और 12 पहिये पर 23 घन मीटर रॉयल्टी मतलब 3680 रुपए रॉयल्टी सरकार को देनी पड़ती है। औसत 600 फीट की 500 डंपर पर रॉयल्टी 4 रुपए के हिसाब से 12 लाख रुपए रोजाना देना हैं। अब एक महीने में 3.6 करोड़ और एक साल के 3.6 गुणा 12 मतलब करीब 43 करोड़ रुपए का नुकसान सरकार को हुआ है। इसमें 5% जीएसटी का नुकसान भी अतिरिक्त है।

 

एनजीटी और एसईआईएए का भी उल्लंघन

 

कई सालों से खदानों की नपती नहीं हुई है। एनजीटी और एसईआईएए का नियम है कि प्रति हैक्टेयर में 1200 पौधे लगाने अनिवार्य हैं, लेकिन नहीं लगे हुए हैं। सीसीटीवी भी नहीं लगाते और 6 मीटर से ज्यादा खनन नहीं कर सकते, करना है तो डीजीएम से परमिशन लेनी पड़ती है।

 

1 डंपर 1 ट्रेक्टर खनीज विभाग ने किया जप्त

 

 खनिज निरीक्षक भगवत नागबंशी ने बताया कि हमारे द्वारा आमला में बिना रायल्ट गिट्टी परिवहन करते डमफर क्रमांक एम पी 48 एच 1257 तथा बस स्टेण्ड पर बिना नंबर की ट्रेक्टर ट्राली जिससे बोल्डर पत्थर परिवहन किया जा रहा था उस पर कार्यवाही करते पुलिस को सुपुर्द किया गया है आगे जुर्माने की कार्यवाही हमारे विभाग द्वारा की जाएगी आगे भी जांच जारी रहेगी शिकायतें आ रही है।।

Satish Naik

Editor in Chief

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