(दिलीप चौकीकर संवाददाता आमला)
आमला। जिले में रेत कारोबारी खुलेआम कानून और यातायात नियमों की अनदेखी कर रहें है. प्रशासन और पुलिस की लचर कार्यप्रणाली के चलते ओवर लोड रेत से भरे डंपर बेखौफ होकर क्षेत्र की सड़कों पर दौड़ते नजर आ रहे हैं. शहर के बीचों बीच ओवरलोड रेत वाहन दौड़ रहें हैं, जो हादसों का कारण बन रहे हैं. इसके बावजूद प्रशासन द्वारा इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है, जिसके चलते डंफर ऑपरेटरों के हौसले बुलंद हो रहें हैं. रेत भरकर सुभह के समय आते है और डंफर खाली कर के नीकल जाते है सूभह के समय कोई अधिकारी भी नही पकड़ पाते है
ओवरलोड रेत से भरे डंपर, ट्रक आदि वाहन थाना, सिविल अस्पताल, जनपद कार्यालय आदि सरकारी कार्यालयों के सामने से प्रतिदिन निकलते हैं, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा इन्हें अनदेखा कर दिया जाता है. इन वाहन ड्राइवरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती है. हालांकि, कभी-कभी दिखावे के लिए रेत से भरे ओवरलोड डपरों को चेकिंग के नाम पर रोका जाता है और बिना कार्रवाई के ही इन्हें चलता कर दिया जाता है.
बता दें जिले में रेत के कारोबार का ठेका मिलने वाले ठेकेदार को शाहपुर घोड़ाडोंगरी अन्य खदानें मिली हुई है, जिसमें से रेत की खदानें मौजूदा समय में संचालित है. रेत कारोबार के जानकारों के अनुसार एक डंपर में औसतन 16 घनमीटर रेत के परिवहन की अनुमति है, लेकिन करीब आठ फीट की ऊंचाई तक पटरे लगा कर हर डंपर में करीब पांच घनमीटर अतिरिक्त रेत भरी जाती है. इस अतिरिक्त पांच घनमीटर रेत की रायल्टी भी आमतौर पर शासन को नही दी जाती है रेत कारोबारी खुलेआम कानून और यातायात नियमों की अनदेखी कर रहें है. प्रशासन और पुलिस की लचर कार्यप्रणाली के चलते ओवर लोड रेत से भरे डंपर बेखौफ होकर क्षेत्र की सड़कों पर दौड़ते नजर आ रहे हैं. शहर के बीचों बीच ओवरलोड रेत वाहन दौड़ रहें हैं, जो हादसों का कारण बन रहे हैं. इसके बावजूद प्रशासन द्वारा इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है, जिसके चलते डंफर ऑपरेटरों के हौसले बुलंद हो रहें हैं.
सरकार को हर दिन होता है साढ़े चार लाख रुपये का नुकसान
इस लिहाज से रेत से ओवरलोड हर डंपर पर सरकार को डेढ़ हजार रुपये की रायल्टी का नुकसान होता है. जिले मे रेत खदानो से हर दिन करीब तीन सौ ओवरलोड डंपर निकाले जाते हैं यानी रेत खदान से सरकार को प्रतिदिन लगभग साढ़े चार लाख रुपये और हर महीने सवा करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है. जिले की पांच से ज्यादा खदानों पर बेरोक-टोक काम चल रहा है. वहां से निकलने वाले रेत से ओरवरलोड डंपरों-ट्रकों की संख्या और उसमें भरी अतिरिक्त रेत के आंकड़े को देखा जाए तो हर महीने की राजस्व हानि का आंकड़ा तीन करोड़ रुपये से अधिक का हो जाता है.
ऐसे होती है कार्रवाई से बचने की कोशिश
रेत के परिवहन में ओवरलोडिंग के बाद कार्रवाई से बचने की कोशिश भी की जाती है. दरअसल रेत खदान से रेत परिवहन की टीपी घनमीटर में जारी की जाती है. दूसरी ओर सड़क पर आरटीओ और पुलिस द्वारा टन में ओवरलोड निकालकर नुकसान का आकलन किया जाता है. रेत से ओवरलोड वाहन पकड़े जाने के बाद क्षेत्रफल में पर्ची और वजन में जांच के बीच की इसी प्रक्रिया से बचकर निकलने की कोशिश की जाती है. इसका खामियाजा आमजन को सड़क पर आवागमन के दौरान उठाना पड़ रहा है.
शहर सहित पंखा सड़क हो रही जर्जर
रोजाना चल रहे ओवरलोड रेत् के भारी वाहनों के करण पंखा बोड़खी सड़क खस्ताहल हो चुकि है अब बोद्खी आमला की सड़कें खराब हो रही हैं और सड़क दुर्घटना के मामले भी बढ़ रहे हैं. इस पूरे मामले को लेकर सीधी जिले के खनीज अधिकारियो द्वारा शहर के बीचो-बीच ओवरलोडिंग वाहनों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए. हालांकि, ओवरलोडिंग रेत की वजह से राजस्व की हानि होती है, संबंधित विभाग को जांच के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए ।
इनका कहना है
जल्द इस मामले मे टीम भेजकर जाचकर् उचित कार्यवाही की जाएगी ओवरलोड रेत वाहनों की रॉयल्टी चेक कर जुर्माने की कार्यवाही करेंगे।
मनीष पलेवार्
जिला खनीज अधिकारी बैतूल