मलकोटा जलाशय मे खुलेआम पॉकलेंड मशीन से हुआ अवैध उत्खनन, जलाशय की मिट्टी बेच दी माफियाओ ने

विभाग ने सरपंच खिलाडीलाल के खिलाफ बनाया प्रतिवेदन

(दिलीप चौकीकर संवाददाता आमला)

 आमला। क्षेत्र के ग्राम ससाबड़ ओर नाहिया के मघ्य स्थित जलाशय की मिट्टी का अवैध उत्खनन कर उत्खननकर्ताओं द्वारा लाभ कमाया गया है। जिससे तालाब के संरक्षक विभाग भी अनभिज्ञ है। तालाब के मिट्टी का व्यवसायिक उपयोग के लिए मनमाने तरीकों से खुदाई कर तालाब के स्वरूप को भी प्रभावित किया गया है। जिसको लेकर जल संसाधन विभाग ग्राम पंचायत से किसी प्रकार की कोई अनुमति नहीं ली गई है।जानकारी के अनुसार ससाबड़ से नाहिया मार्ग पर ग्राम मलकोटा में स्थित तालाब से मिट्टी का अवैध उत्खनन किया गया है। जलाशय मे पिछले 15 दिनों से पोकलेंड मशीन और जैसीबी लगाकर अवैध रूप से खुदाई कर परिवहन का कार्य किया गया है।

 

जल संसाधन विभाग ने सरपंच के खेत मे पाई मिट्टी

 

गुरुवार 16 को जल संसाधन विभाग के एसडीओ मनोज चौहान उपयंत्री शाक्य सहीत कर्मचारी जलाशय पहुँचकर् जांच की जिसमे नाहिया सरपंच खिलाडीलाल घिघोड़े के स्वयं के खेत मे बड़ी मात्रा मे जलाशय से अवैध उतखनन कर ले जाई गई मिट्टी पाई गई जिस पर विभाग द्वारा पंचनामा बनाकर प्रतिवेदन तैयार कर अग्रिम कार्यावाही के लिए भेजा है। ग्राम नाहिया सहीत मलकोटा मे सरपंच पुत्र पवन घिघोड़े द्वारा ट्रेक्टर ट्रालियों से मिट्टी बेचने की बात भी अधिकारियो के संज्ञान मे आई वही अधिकारियो के आने की सूचना पूर्व मे मिल जाने के कारण पोकलेंड और जैसीबी मशीन ट्रेक्टर ट्रालिया जलाशय से हटा ली गई थी।

 

रोजाना अवैध उत्खनन और परिवहन

 

उत्खननकर्ताओं द्वारा जलाशय में खुदाई का कार्य कर दिन व रात में कर मिट्टी का परिवहन किया जाता रहा है।रोजाना ग्राम नाहिया मलकोटा के खेतो मे सैकड़ो ट्रालियां मिट्टी ले जाकर बेचीं गई। मिट्टी को जिन लोगों के यहां डाला गया है, वहीं इसके लिए 500 रुपये प्रति ट्राली की राशि भी ली गई है। पूर्व में उत्खनन के कई मामले सामने आ चुके है आसपास के इलाको मे मुरुम पत्थर के माफियाओ द्वारा के माध्यम से खुदाई कार्य कराया जाता था।

 

लंबे समय से हो रहा है अवैध उत्खनन

 

 

 

मलकोटा जलाशय में वर्तमान में पानी कम होने के कारण सूखे एरिया मे उतखनन किया गया। खनीज माफियाओ ने फायदा उठाकर लंबे समय से अवैध खुदाई कार्य किया है।जलाशय में बड़े क्षेत्र में ख्ुादाई देखी जा सकती है। अवैध उत्खनन हुआ जिससे जल संसाधन विभाग को राजस्व की हानि हुई है। दिनांक 16 मई को जलसंसाधन विभाग के एस डी ओ उपयंत्री साहित पुरी टीम जांच करने मोके पर पहुंची जिसके बाद अब अधिकारियो द्वारा कार्यवाही की बात की जा रही है। जबकि पूर्व में खुदाई को लेकर कलेक्टर या खनीज विभाग से अनुमति लेना होता था, लेकिन इस वर्ष दोनों ही विभागों ने अनुमति प्रदान नहीं की है, बावजूद उसके खुदाई की गई है।

 

तालाब की पाल पर दौड़ाते है ट्रेक्टर ट्राली-

 

एक ओर जहां जलाशय की उपयोगी मिट्टी की खुदाई कर व्यवसाय किया जा रहा है, वहीं ट्रेक्टर ट्राली जलाशय की पाल पर से ही आवागमन किए जाने के कारण पाल क्षतिग्रस्त हो रही है। ट्रेक्टर ट्राली चालकों द्वारा तालाब के मध्य से रास्ता बनाकर पाल से ही खाली एवं भरी ट्राली लाई एवं ले जाई जाती है, जिससे पाल कमजोर हो रही है। ऐसे में बारिश के दौरान जब तालाब में पानी का भराव होता है, तब पानी का रिसाव पालों से ही होता है, और इसमें लंबे समय तक पानी नहीं रह पाता है। जिससे भी तालाब को लेकर नुकसान हो रहा है।

 

तो खनन माफिया उठाएंगे मौके का फायदा –

 

बीते कुछ माह पूर्व उत्खनन के मामले मे जिला मुख्यालय पर बैठक में द्वारा सार्वजनिक तालाब का गहरीकरण करने पर किसानों पर कोई कार्यवाही नहीं किए जाने निर्देश दिए है, लेकिन किसान मिट्टी का उपयोग खेतों में कर सकता है, बेच नहीं सकता है। लेकिन यहां कलेक्टर के आदेश के पहले ही नाहिया के खनीज माफिया द्वारा ही अवैध खुदाई कर व्यवसाय किया गया है। ऐसे में जिला अधिकारी के इस निर्देश का फायदा किसान कम और खनन माफिया अधिक उठा रहे है। किसानों की आढ़ में मिट्टी का व्यवसाय किया गया है।

Satish Naik

Editor in Chief

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