(दिलीप चौकीकर संवाददाता आमला)
आमला।खनिज माफियाओ पर लगातार राजस्व तथा माइनिंग विभाग द्वारा कड़ी कार्यवाही कर अंकुश लगाया जा रहा है लेकिन फिर भी खनीज नियमों की धज्जिया उड़ाने मे लोग पीछे नही हट रहे है ऐसा ही एक मामला मालेगाव पंचायत मे सामने आया है जहा पंचायत सचिव द्वारा बिना अनुमति लिए मुरुम और पत्थरो का अवैध उतखनन् समतलीकरण के नाम पर करके अवैध परिवहन किया गया जबकि मुरुम तथा पत्थरो के लिए राजस्व तथा खनीज विभाग से कोई अनुमति भी नही ली गई मामले मे बोरदेही पुलिस कार्यवाही करने मोके पर पहुंची थी लेकिन पुलिस के आने सूचना मिलते ही सचिव द्वारा अवैध उतखनन मे लगाई गई जैसीबी मशीन तथा ट्रेक्टर ट्रालियों को मोके से हटा लिया गया जिसके कारण पुलिस को बिना कार्यवाही बेरंग लौटना पड़ा हलाकि पुलिस द्वारा मोके पर देखी गई मुरुम पत्थरो का पंचनामा व प्रतिवेदन बनाया गया है।
गौरतलब है की ग्राम पंचायत डेहरी ग्राम पंचायत मे पदस्थ सचिव शिवनरायण यादव द्वारा अपने बासन्या ग्राम मे बोरदेही आमला मार्ग सड़क किनारे खाली भूखंड पर निर्माण कार्य करवाने के लिए अपने निजी खेत किनारे मुरुम पत्थरो का अवैध उतखनन करवाया गया और लगभग 10 ट्रेक्टर ट्रालियों को लगाकर खेत की दूरी से बासन्या तक खाली भूखंड पर 50 से 60 ट्रालिया सड़क पार करवाकर डलवाई गई लेकिन इस मामले की शिकायत पुलिस के आला अधिकारियो तथा राजस्व विभाग के अधिकारियो को मोबाइल काल के माध्यम से होने पर बोरदेही पुलिस कार्यवाही करने पहुंची लेकिन पुलिस के आने की खबर लगते ही जैसीबी मशीन ट्रेक्टर ट्रालिया मोके से हटा ली गई।
सचिव ने पुलिस को बताया मिट्टी
उल्लेखनीय होगा दिनांक 7 जून को पुलिस रात्रि मे जब कारवाई करने पहुंची तो पुलिस को सचिव शिवनरायण यादव द्वारा बताया गया की खेत समतलीकरण करवा रहे है और खेत से ही मिट्टी लाई गई है जबकि सचिव द्वारा बगैर रायलटी चुकाये मुरुम और पत्थर निर्माण कार्य के लिए लाए गये जबकि अवैध परिवहन किया गया जिसकी कोई अनुमति भी नही ली गई है ।
खनिज विभाग से की जांच कारवाई की मांग
इस मामले मे ग्रामीणों सहीत समाजसेवी दिलीप चौकीकर ने राजस्व तथा खनिज विभाग से जांच और कारवाई की मांग की है दिलीप चौकीकर का कहना है नियम् कानून आम और खास के लिए अलग अलग नही होते है सबके लिए समान होते है इसलिए जितनी मुरुम लाई गई उसकी जांच कर रायलटी चोरी का प्रकरण सचिव पर बनाया जाए इसके आलावा जिस भूमि मे उतखनन किया गया उसकी भी जांच की जाए की वह शासकीय है अथवा निजी भूमि है